वह वेश्या है
शरीर बेचती है
वही उसकी रोजी-रोटी
वह लोगों के तन की भूख मिटाती है
तब उसके पेट की भूख मिटती है
उसे नीची नजर से देखा जाता है
समाज मे सम्मान नहीं
यही समाज उसके तन को गिद्ध दृष्टि से देखता है
उसे ऐय्याशी का साधन बनाता है
रात के अंधेरे में
दिन के प्रकाश में नहीं
शर्म आती है
पर उसे शर्म नहीं आती
वह शाम होते ही बन ठन कर खडी हो जाती है
वह मुफ्त में कुछ नहीं लेती
सौदा करती है
उसे अपनी अहमियत पता है
वह छिपाती नहीं
उसी के कारण तो समाज सुव्यवस्थित चल रहा है
उनकी इज्जत बची हुई है
नहीं तो ये तन के भूखे भेड़िये
न जाने कितनी अबलाओं को अपने हवस का शिकार बनाते
वह सेक्स वर्कर है
सम्मान की हकदार हैं
उसकी अहमियत दूसरों को भी समझना होगा।
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Wednesday, 24 April 2019
वेश्यावृत्ति
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