Monday, 22 April 2019

सबसे न्यारी सबसे प्यारी वसुंधरा हमारी

यह नीला आसमान
यह चांद - तारे
लगते हैं बड़े प्यारे
यह उगता और डूबता हुआ सूर्य
उसकी नारंगी आभा
वह सूर्योदय
वह सूर्यास्त
लगते हैं बड़े प्यारे
यह बरखा
झर झर झरती बूंदें
उसमें भीगना
लगता है बड़ा प्यारा
वह ठिठुरती ठंड
बर्फ और पड़ते हुए ओले
लगते हैं बड़े प्यारे
यह लहलहाते पेड़
खुशबू फैलाते फूल
उन पर मंडराती तितलियों -भौंरे
लगते हैं बड़े प्यारे
वह ओस की बूंद
मिट्टी की भीनी भीनी महक
सरसराती हवा
लगते हैं बड़े प्यारे
समुंदर की लहरे
उफनती नदी
निश्चल खड़े पर्वत
लगते हैं बड़े प्यारे
यह मेहरबानी है हमारी वसुंधरा की
धरती रानी की
तभी तो लगती है
सबसे प्यारी
सबसे न्यारी
जीवनदायिनी
धरती माता हमारी

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