Sunday, 21 April 2019

रंग का रंग

रंग सौंदर्य का पर्याय
काला या सांवला
यह आज से नहीं
सदियों की मानसिकता
हमारे यहाँ ही नहीं
सभ्य और मार्डन समाज मे भी
देखने का दृष्टिकोण
लोगों का नजरिया
आज भी वैवाहिक विज्ञापन में
गोरे रंग की ही मांग
यह रंगभेद वाली मानसिकता
खत्म नहीं हो रही
हाँ ,आज ब्लेक ब्यूटी को भी स्थान दिया जा रहा
फिल्मों मे भी सांवली नायिकाएं अपना लोहा मनवा रही
पर यह कुछ ही मिसाल
रंगत तो ईश्वर की देन
रंगभेदी तो इंसान है
रंगत के आधार पर योग्यता
यही मापदंड है
आज भी रंग के आधार पर बहू को प्रताडित किया जाता है
उसे ताने दिए जाते हैं
यहाँ तक कि पुरुषों का भी कमोबेश यही हाल है
काला -कलूटा
काली -कलूटी
यह तो हमारे लिए नया नहीं है
गोरा हर किसी को प्रभावित करता है
जबकि मापदंड तो
योग्यता ,इंसानियत ,एज्युकेशन ,स्वभाव होना चाहिए
उसके गुणों को पहचानना है
सच्चा पारखी बनना चाहिए
रंग का रंग अपनी सोच पर हावी नहीं होने देना है

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