बचपन तुम्हारी बहुत याद आती है
अब लगता है फिर वही लौट चलें
वह माँ की गोदी
पापा का दुलार
बहन - भाई का साथ
दोस्तों संग मटरगश्ती
वह कभी भी सोना
कभी भी जागना
कभी भी खिलखिलाना
न कोई तनाव
न कोई चिंता
जीवन तो वही था
अब तो कर्तव्य तले जिंदगी दब कर रह गई है
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