चुनाव खत्म हो चुके हैं
परिणाम भी आ गए
जीत सत्ताधारी पक्ष की हुई
वह भी गांधी को आदर देता है
शायद उनके सिंद्धातो को भी
तब गोडसे की चर्चा
उसे राष्ट्रवादी बताना
यानि कहीं न कहीं गांधी हारे है
इस चुनाव में तो यही दिखा है
भोपाल क्या सारे भारत में यही दिखा है
ऐसा तो नहीं यह चुनावी हथकंडे हो
सत्य तो कभी हारता नहीं है
फिर इस बार ऐसा क्या हुआ
ऐसा तो नहीं
दिखाया कुछ जा रहा है
सुनाया कुछ जा रहा है
राष्ट्रवाद के नाम पर जनता को ठगा जा रहा है
शायद यह एहसास कराया जा रहा हो
अगर गांधी राष्ट्रभक्त थे
तब गोडसे भी है
उनकी राष्ट्रभक्ति पर संदेह क्यों ??
गांधी के हत्यारे होने के कारण वह देशद्रोही तो नहीं हो सकते
यही प्रश्न वर्षों से चल रहा है
इतिहासकारों को इस पर विचार करना होगा
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Saturday, 25 May 2019
गांधी या गोडसे
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