बच्चे चीख रहे थे
झुलस रहे थे
आग उनको लील रही थी
लोग नौनिहालो को असहाय होकर देख रहे थे
यह सूरत है
जहाँ सीढी तक उपलब्ध नहीं
आग बुझाने के संसाधनों की कमी
यह हमारे गुजरात का सूरत है
भारत के विकास के माडल गुजरात की
सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति बन गई
पर जान माल की सुरक्षा के साधनों का अभाव
बच्चे गए थे भविष्य के सुनहरे सपनों की नींव बुनने
वही राख में ढेर हो गये
प्रधानमंत्री भी वही से आते हैं
दुख तो हुआ ही होगा
दुर्घटनाएं होती है
अब तो आए दिन हो रही हैं
इसका जिम्मेदार भी तो कोई होगा
रामभरोसे तो नहीं छोड़ सकते
गगनचुम्बी इमारत तो बन गई
पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है क्या ??
भ्रष्टाचार तो लगता है
भारत में खत्म नहीं होगा
जो चल रहा है
वह तो चल रहा है
आंतकवादियों और दुश्मन से तो निपटा जा सकता है
पर देश के इन दीमको से
वह किसी न किसी रूप में खा जाएँगे
आज सूरत है
कल कोई और
हल्ला गुल्ला होगा
संवेदना और सहानुभूति का दौर चलेगा
केस होगा
कमेटी बिठाई जाएगी
इंतजार किया जाएगा
लोग भूल जाएँगे
जिनके लोग बिछुडे है
वे ताउम्र आंसू बहाएगे
मुआवजे की घोषणा कर
सरकार भी अपना कर्तव्य पूरा कर लेगी
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Saturday, 25 May 2019
सूरत फिर बच्चों की सूरत नहीं देख पाएगा
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