बाबा यानि हमारे आजोबा
बारिश की बूँदें पडी
मन प्रफुल्लित हो उठा
ऐसे में उस शख्स की याद आ गई
जो हम पर मन भर स्नेह बरसाता था
देखने में एकदम कडक
सफेद जगमग करती धोती-कुर्ता
ऊपर से सदरी
सर पर गांधी टोपी
आॅखो पर काले फ्रेम का बडा सा चश्मा
कद मे छोटे पर चाल में गजब की फूर्ति
ईमानदारी और सच्चाई कूट कूट कर भरी
वही शायद हमे भी विरासत में मिली
रोबदार चेहरा ,आवाज में भी रोब
गुस्सैल स्वभाव कि अच्छे - अच्छे कांप जाय
शिक्षा को तरजीह देना
लोगों की भलाई के लिए तत्पर
परिवार ,समाज की देखभाल
नाती पोतों पर असीम प्रेम
स्वावलम्बी
नये नये पकवान बनाने का शौक
बाजार से कभी खाली हाथ नहीं आना
हम बच्चों के लिए खाऊ जरूर लाना
श्रीखंड अपने हाथों से बनाना
मंहगी से मंहगी सब्जी लाना
कंटोला आज भी याद है
प्रार्थना समाज के होटल में मसाला डोसा खिलाना
बरसात जब जब पडती
उनकी याद ताजा हो आती
स्कूल में पहुंचाना रेनकोट लेकर
पढाई को तरजीह देना
लडकी और लडके में फर्क न करना
उस जमाने में जब लडकी होना अभिशाप माना जाना
तब अपनी पहली नातिन के यानि मेरे जन्म पर
काली माता का मंदिर पक्का करवाना
जमाने से दो कदम आगे चलना
जिद्द ऐसी कि पढाई में किसी तरह का समझौता नहीं
हिंदी के साथ गुजराती का भी ज्ञान
सुबह सुबह जब धोती- बंडी धारण कर
खडाऊं पहन खट खट चलते
तब सब सावधान
न जाने कितने बेघरो का घर बसाया
इज्जत और सम्मान की खातिर कुछ भी करने को तत्पर
मारकन्डेय सिंह नाम उनका
मारकन्डेय त्रृषि की तरह ही त्रृषि जैसा जीवन
सिंह जैसी दहाड़
ऊपर से कठोर
मन से कोमल
स्वच्छता पसंद
ऐसे थे हमारे बाबा यानि आजोबा
न जाने कितनी छतरियाॅ ली होगी
न जाने कितने रेनकोट फटे होगे
पर भरी झमझम बरसात में
दूकान पर जा रेनकोट ला
स्कूल के फाटक पर खडे रहना
स्काउट और गाइड के कैम्प में
मुझसे मिलने के लिए दूसरे दिन ही पहुंच जाना
यह तो कभी नहीं भूलेगी
असमय और जल्दी ही इस दुनिया से बिदा ली
पर याद तो अभी भी जेहन में है
हर साल बरसात आती है
अपने साथ कुछ यादे भी ले आती है
कुछ अच्छी कुछ कटू
उसमें छब्बीस जुलाई की भयानक याद भी है
पर बाबा का रेनकोट उस पर भारी है
कहते हैं यादें कभी मरती नहीं
उनका भी अपना संसार होता है
उसी के कारण तो लोग मरकर भी जीवित रहते हैं
अपने परिजनों के साथ रहते हैं
बाबा की भी प्यारी यादें साथ है
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