सपने सुहावने लगने लगे
जब तुमसे मुलाकात हुई
मन गुनगुनाने लगा
जी भर कर प्यार लुटाने लगा
जीवन को नई दिशा मिली
पंख फडफडाने लगे
आतुर हो उडने को बेताब
हर कली खिली हुई
हर फूल मुस्कराते हुए
हर रंग अपनी छटा बिखेरते हुए
संवेदना - भावना सब जागृत हुई
सुबह भी सुहानी लगने लगी
शाम की छटा तो और प्यारी लगने लगी
शोरगुल भी संगीत लगने लगा
लगा दुनिया बदल गई
वह पहले जैसी बात नहीं
अब जीवन नीरस नहीं
सरस बन गया है
अब कोई बेगाना नहीं
सब अपने लगने लगे
अब दिन - रात छोटी लगने लगी
नजरिया बदल गया
अब तो संवाद नहीं
नजरें ही बात कर लेती है
सपने बुनने लगा मन
हर सपना सुहावना लगने लगा
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