Thursday, 13 June 2019

पीटा तो सीखा

वह कैसी मार थी
उसकी मधुर याद अब भी
इस उम्र में भी
क्या पिटाई होती थी
जो भी मिला उससे
कभी माँ के बेलन - चिमटे से
कभी पिताजी के थप्पड़ से
कभी-कभी बडे भाई -बहन की भी डाट फटकार
मास्टर जी की छडी
दोस्तों का घूँसा
पडोसी का दौडाना
हर रोज पीटा जाना
यह साधारण बात थी
कभी मन पर नहीं ली
क्षण भर में गायब
किसी के प्रति गुस्सा नहीं

पीटने के प्रति इतना प्यार
आश्चर्य होता है
अब तो उन पर प्रेम उमड़ता है
वहाँ जिंदगी से लडना सिखाया जा रहा था
न जाने जिंदगी कितने थप्पड़ मारेगी
उसकी आदत डाली जा रही थी

वह पहाड़े अभी भी याद है
वह समय का पालन नस नस में समाया है
वह बडो का आदर
घर पर समय से आना ही है
किसी से व्यर्थ में लडाई झगड़ा नहीं करना है
जो मिला उसी में खुश रहना है
बेकार की बात और जिद नहीं करना है
भोजन का अपमान नहीं करना है
हर काम समय से करना है
मेहनत और लगन से काम करना है
पढाई से जी नहीं चुराना है
सुबह समय से उठना है
यह सब सीखा जब हम पीटे

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