Wednesday, 26 June 2019

कोई कम या ज्यादा नहीं

माँ की कोख
कुम्हार का आवा
दोनों एक समान

कुम्हार कच्ची मिट्टी से गढ
बर्तन आवा में पकने के लिए डालता
कुछ पके सुंदर लाल सूर्ख
कुछ अधपके
कुछ टेढे मेढे
कुछ टूटे
डाला तो था सभी को
पर सब एक जैसे नहीं

माँ भी बच्चों को जन्म देती है
नव महीने पेट में रखती है
पर सब एक समान नहीं
कोई गोरा कोई सांवला
कोई बुद्धिमान कोई साधारण

इसके लिए माँ जिम्मेदार नहीं
यह उसके हाथ में नहीं
कुदरत का खेल है
ऊपरवाले की रचना है

हर रचना अपनी विशिष्टता के साथ है
हर का अपना स्थान
अपना सम्मान
अपना अंदाज
कोई कम या ज्यादा नहीं

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