बाजार लगा है
पूछ रहे हैं खरिदोगे
अपनी अपनी कीमत बता रहे हैं
किसी को कोई मंत्रालय
किसी को कोई कुर्सी
सब कुर्सी का खेल
दीन इमान बीक चुके
कल तक के जानी दुश्मन
आज के जिगरी दोस्त
नैतिकता गई भाड में
माल पानी का जुगाड़ करना है
सत्ता का स्वाद चखना है
पार्टी से क्या फर्क पडता है
जहाँ सत्ता वहाँ हम
लेकिन हमारी बोली जरा ऊंची लगाना
नहीं तो हम खेल बिगाड भी सकते हैं
हम माहिर खिलाडी है
मौसम विज्ञानी हैं
ऊंट किस करवट बदलेगा
वह हमें बखूबी पता है
तभी तो हम भी मौका देख करवट बदल लेते हैं
आज इस दल
तो कल उस दल में
हम दलबदलू है
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Monday, 15 July 2019
हम दलबदलू है
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