Monday, 15 July 2019

हम दलबदलू है

बाजार लगा है
पूछ रहे हैं खरिदोगे
अपनी अपनी कीमत बता रहे हैं
किसी को कोई मंत्रालय
किसी को कोई कुर्सी
सब कुर्सी का खेल
दीन इमान बीक चुके
कल तक के जानी दुश्मन
आज के जिगरी दोस्त
नैतिकता गई भाड में
माल पानी का जुगाड़ करना है
सत्ता का स्वाद चखना है
पार्टी से क्या फर्क पडता है
जहाँ सत्ता वहाँ हम
लेकिन हमारी बोली जरा ऊंची लगाना
नहीं तो हम खेल बिगाड भी सकते हैं
हम माहिर खिलाडी है
मौसम विज्ञानी हैं
ऊंट किस करवट बदलेगा
वह हमें बखूबी पता है
तभी तो हम भी मौका देख करवट बदल लेते हैं
आज इस दल
तो कल उस दल में
हम दलबदलू है

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