Thursday, 11 July 2019

खूबसूरत बचपन

चलो बच्चे बन जाए
फिर छोटे हो जाए
खिडकी से बाहर हाथ निकाले
पेड़ पौधों को मुड मुड कर निहारे
तितलियों के पीछे भागे
चंदा मामा को टाटा करें
टूटते तारों को निहारे
गाडी के पीछे-पीछे भागे
पानी में छप छप करें
मुंह को गोल गोल घुमाएं
खिलखिलाकर हंसे
कभी भी दौडे
कभी भी भागे
बाहों से पसीना पोछे
किसकी न सुने
बस अपनी मन की करें
न किसी से शिकायत
न किसी से स्पर्धा
बस अपने मे मस्त
मस्ती में झूमती वह जिंदगी
क्या खूब थी

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