एक ज्ञानी व्यक्ति ने अपने शिष्यों से पूछा, "हमारी गाड़ियों में ब्रेक क्यों होते हैं?"
सबने इस प्रश्न के वाजिब और तार्किक उत्तर दिएः
एक्सीडेंट से बचाने के लिए.
स्पीड कम करने के लिए.
सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाने के लिए.
लेकिन ज्ञानी व्यक्ति के अनुसार ये गाड़ियों में ब्रेक होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण नहीं थे. ज्ञानी ने कहाः
"गाड़ियों में ब्रेक इसलिए होते हैं ताकि हम तेज गाड़ी चला सकें."
ज्ञानी का बताया हुआ कारण अप्रत्याशित था. पहले-पहल तो सभी उपस्थितों को यह ठीक नहीं लगा. यह वाकई अजीब था. लेकिन ज्ञानी ने अपने कारण के पक्ष में जो तर्क दिया वह गौर करने लायक है…
यदि गाड़ियों में ब्रेक नहीं होते तो हर व्यक्ति बहुत धीमे गाड़ी चलाकर एक्सीडेंट से बचने की कोशिश करता. बहुत से लोग तो गाड़ी चलाते ही नहीं. गाड़ियों के ब्रेक हमें ऐसी सुरक्षा प्रदान करते हैं कि हर व्यक्ति उन पर भरोसा करके तेज गाड़ी चलाकर अपने गंतव्य तक जल्दी पहुंच सकता है.
इस सबक को जीवन में भी उतारा जा सकता है.
जीवन में अनिश्चितता का सामना करने का विकल्प होना चाहिए. भावनात्मक धरातल पर हमें सहेजने वाला कोई होना चाहिए. उनकी मदद के बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते.
वे कौन हैं? वे हमारे मित्र, परिजन और शुभेक्षु हैं.
वे अक्सर ही हमें खिझा देने वाले सवाल-जवाब करते हैं. लेकिन उनकी बेरोकटोक टीका-टिप्पणी हमें चाहे-अनचाहे सही ट्रैक पर बनाए रखती है.
वे हमारी ज़िंदगी में ब्रेक की तरह हैं. यदि ये ब्रेक न हों तो हमारी गाड़ी फिसलकर पलट सकती है. हमारे साथ इससे भी बुरा कुछ हो सकता है.
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