Monday, 23 September 2019

सर झुकाना भी एक कला

सर झुकाना नमन करना यह हमारी आदत में शुमार
यह अदब है
तहजीब है
हमारे रग रग में है
हमारी परंपरा है
जब सर झुकता है
तब बडे बडे भी पिघल जाते हैं
दिल से दुआ देते हैं
आशीर्वाद की बौछार कर देते हैं
सारी नाराजगी क्षण में काफूर हो जाती है
क्रोध कपूर की तरह उड जाता है
झुक कर आप किसी को सम्मान से झुका देते हैं
अपनापन जताने का इससे अच्छा जरिया और कुछ नहीं
जब भी मौका मिले
अपनों के सामने इसका
उसको लपक लीजिए
बिना कुछ गंवाए
बहुमूल्य आशीर्वाद मिल रहा है
तब लपक कर ले ले
बहुत शक्ति है
जीवन आनंदमय हो उठेगा
यह कला आत्मसात कर लीजिए
जीवन संवरने में वक्त नहीं लगेगा

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