सर झुकाना नमन करना यह हमारी आदत में शुमार
यह अदब है
तहजीब है
हमारे रग रग में है
हमारी परंपरा है
जब सर झुकता है
तब बडे बडे भी पिघल जाते हैं
दिल से दुआ देते हैं
आशीर्वाद की बौछार कर देते हैं
सारी नाराजगी क्षण में काफूर हो जाती है
क्रोध कपूर की तरह उड जाता है
झुक कर आप किसी को सम्मान से झुका देते हैं
अपनापन जताने का इससे अच्छा जरिया और कुछ नहीं
जब भी मौका मिले
अपनों के सामने इसका
उसको लपक लीजिए
बिना कुछ गंवाए
बहुमूल्य आशीर्वाद मिल रहा है
तब लपक कर ले ले
बहुत शक्ति है
जीवन आनंदमय हो उठेगा
यह कला आत्मसात कर लीजिए
जीवन संवरने में वक्त नहीं लगेगा
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Monday, 23 September 2019
सर झुकाना भी एक कला
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment