यह मुस्कराती हुई माता जी
भूखी प्यासी होने पर चेहरे पर सुकून
एकदम तृप्त और संतुष्ट
कौए के रूप में अपने पूर्वजों को खिला
जैसे मनचाहा वरदान मिल गया हो
अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगना
अर्धरात्रि से नहा धोकर तैयारी
किसी को हाथ भी न लगाने देना
विश्वास ही नहीं
कुछ गलत हो जाय तो पूर्वज रुष्ट न हो जाय
भले कोई कितना चिढे
इन पर कोई असर नहीं
यह तो अपने में व्यस्त
लगा आज जो बच्चे चांव लेकर खा रहे हैं
कल शायद यह न हो
पर याद तो रहेंगी
भले कितना भी क्रोध आ जाय
इनकी हरकतों से
पर न रहने की कल्पना से मन कांप जाता है
नही अभी नहीं
अभी तो जीना है
नहीं तो हम अनाथ हो जाएँगे
इनके लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए
इनको जाने नहीं देना चाहते
जो कौए को खिलाकर
अपने बच्चों को खिलाकर प्रसन्न रहे
शक्ति न होने पर भी लगी रहें
शायद उनको भी एक दिन जाना होगा
पर कहा जाता है न
माँ कभी बूढी नहीं होती
बच्चे कभी बडे नहीं होते
इसलिए यह बात ध्यान में नहीं आती
यह भी तो एक दिन जाएंगी
आज यह खिला रही है कौए को
कल को यह भी तो कौआ बन कर आएगी
ईश्वर करें
यह ऐसे ही खिलाती रहे
क्योंकि हम इनको अपने साथ देखना चाहते हैं
इस लोक में रहे
अपनी बेपरवाह मुस्कराहट बिखेरते
सबको आशीर्वाद देते
यह हाथ पैर चलते रहे
और यह अपना प्यार बांटती रहे
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