Sunday, 29 September 2019

हमारी माता जी

यह मुस्कराती हुई माता जी
भूखी प्यासी होने पर चेहरे पर सुकून
एकदम तृप्त और संतुष्ट
कौए के रूप में अपने पूर्वजों को खिला
जैसे मनचाहा वरदान मिल गया हो
अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगना
अर्धरात्रि से नहा धोकर तैयारी
किसी को हाथ भी न लगाने देना
विश्वास ही नहीं
कुछ गलत हो जाय तो पूर्वज रुष्ट न हो जाय
भले कोई कितना चिढे
इन पर कोई असर नहीं
यह तो अपने में व्यस्त

लगा आज जो बच्चे चांव लेकर खा रहे हैं
कल शायद यह न हो
पर याद तो रहेंगी
भले कितना भी क्रोध आ जाय
इनकी हरकतों से
पर न रहने की कल्पना से मन कांप जाता है
नही अभी नहीं
अभी तो जीना है
नहीं तो  हम  अनाथ हो जाएँगे
इनके लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए
इनको जाने  नहीं देना चाहते

जो कौए को खिलाकर
अपने बच्चों को खिलाकर प्रसन्न रहे
शक्ति न होने पर भी लगी रहें
शायद उनको भी एक दिन जाना होगा
पर कहा जाता है न
माँ कभी बूढी नहीं होती
बच्चे कभी बडे नहीं होते
इसलिए यह बात ध्यान में नहीं आती
यह भी तो एक दिन जाएंगी
आज यह खिला रही है कौए को
कल को यह भी तो कौआ बन कर आएगी
ईश्वर करें
यह ऐसे ही खिलाती रहे
क्योंकि हम इनको अपने साथ देखना चाहते हैं
इस लोक में रहे
अपनी बेपरवाह मुस्कराहट बिखेरते
सबको आशीर्वाद देते
यह हाथ पैर चलते रहे
और यह अपना प्यार बांटती रहे

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