आज मैं भी बच्ची बन गई
मैगी मैगी सुनती थी
डाट लगाया करती थी
घर का खाना अच्छा नहीं लगता
बस जब देखो मैगी की रट
आज घर में कोई नहीं था
खाना बनाने का भी जी नहीं था
सोचा चलो आज कुछ अलग करते हैं
सामने दिखी मैगी
कुछ सोचा और मुस्कुरा दी
गैस पर भगोने में पानी रखा
उबलता देख मैगी और मसाला डाल दिया
एक दो बार हिलाया
हो गया तैयार
टेबल पर बैठ चम्मच - कांटे से खाना शुरू किया
मजा आ रहा था
मुंह में सुड सुड गटकते
स्वादिष्ट भी
दो मिनट में तैयार भी
न मेहनत न प्रयास
कभी-कभी चेंज के लिए क्या बुरा है
स्वस्त और मस्त
मन ने कहा
नाॅट ए बैड
सच है मैगी में कुछ तो बात
तभी करती है
लोगों के दिलों पर राज
वाकई यह है लाजवाब
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