Friday, 20 September 2019

इत्र और पसीना

इनके पसीने की गंध आती है
हमेशा धूल और मिट्टी से भरा
मटमैले और गंदे से
बाल भी बेतरतीब
बच्चों को यह रूप नहीं भाता
पूछते हैं कि
पापा इतने गंदे क्यों रहते हैं
बेचारे छोटे है न
ना समझ है
इन्हें क्या पता
पापा के इन्हीं पसीने की बदौलत
घर में खुशियाँ महकती है
वे गंदे रहते हैं
तभी वे साफ कपडे पहनते हैं
उनका पेट भरता है
वे मजदूरी करते हैं
पैसा लाते हैं
तभी चेहरे पर मुस्कान आती है
अपना खून पसीना बहाते हैं
तब सब चैन से जीते हैं
यह जीवन की जद्दोजहद है
इस पसीने की गंध का मुकाबला
इत्र की खुशबू से नहीं हो सकता
इत्र शरीर महकाता है
यह तो जीवन महकाता है
अपनो और अपने परिवार का

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