Tuesday, 17 September 2019

अनाथाआश्रम हमारा प्यारा आश्रय

हम तो है अनाथ
वंचित और घरबार विहीन
कभी गरीबी ने मारा
कभी अपनों ने ठुकराया
कभी कुंवारी माँ की मजबूरी ने
कभी समाज के ठेकेदारों ने
कभी धार्मिक कट्टरता ने

आज हमें सहारा है
अनाथालय का
जिसने हमें अपनाया
पढाई लिखाई करवाई
हमें हमारी पहचान दिलवाई
जीने का और कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा किया
हमें सडक से उठाकर आश्रय दिया
सर पर छत दी
पेट को रोटी दी
हमें दर दर भटकने से बचाया

किसी ने हमें नाजायज समझ कचरे में फेंका
किसी ने उठाकर प्रेम से गले लगाया
रमेश को कचरे के ढेर में फेंका
किसी ने राबर्ट बना कर प्रेम से पाला
फिर बीच में लोग ले आते हैं धर्म की राजनीति

सबसे बडा धर्म तो इंसानियत का धर्म
जिसने हमारा पालन पोषण किया
हमें सडकों से उठा सर पर बिठाया
वही अनाथाआश्रम  हमारा प्यारा आश्रय

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