हम तो है अनाथ
वंचित और घरबार विहीन
कभी गरीबी ने मारा
कभी अपनों ने ठुकराया
कभी कुंवारी माँ की मजबूरी ने
कभी समाज के ठेकेदारों ने
कभी धार्मिक कट्टरता ने
आज हमें सहारा है
अनाथालय का
जिसने हमें अपनाया
पढाई लिखाई करवाई
हमें हमारी पहचान दिलवाई
जीने का और कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा किया
हमें सडक से उठाकर आश्रय दिया
सर पर छत दी
पेट को रोटी दी
हमें दर दर भटकने से बचाया
किसी ने हमें नाजायज समझ कचरे में फेंका
किसी ने उठाकर प्रेम से गले लगाया
रमेश को कचरे के ढेर में फेंका
किसी ने राबर्ट बना कर प्रेम से पाला
फिर बीच में लोग ले आते हैं धर्म की राजनीति
सबसे बडा धर्म तो इंसानियत का धर्म
जिसने हमारा पालन पोषण किया
हमें सडकों से उठा सर पर बिठाया
वही अनाथाआश्रम हमारा प्यारा आश्रय
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