Tuesday, 22 October 2019

इंतजार

आज मेरा मन भारी है
सब कुछ लग रहा खाली खाली है
ये दिन और रात कुछ कह रहे हैं
यह हवा कानों के पास आकर कुछ बोल रही है
यह बरखा की बूँदें तन को भीगा रही है
यह कोयल कुहू कुहू बोल कुछ संदेश सुना रही है
कौए की कांव कांव किसी के आने का संदेश दे रही है
यह टाॅमी भी दूम हिलाता रहा है
यह सब किसी आहट की सूचना दे रहे हैं
कोई आने वाला है
कुछ विशेष होने वाला है
पर क्या
उसका तब तक इंतजार
यह घडियां भी लंबी है
मन में कुछ बैचैनी है
आज मेरा मन भारी है

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