कांदा रे कांदा
तू सबसे बडा दादा
सब सब्जियों का महाराजा
नित नए खेल खेलता
कभी ऊपर तो कभी नीचे
तेरा यह चढ उतार का खेल
किसी को नहीं आता रास
ऊपर गया तो ग्राहक नाराज
नीचे आया तो नाराज किसान
कभी किसी की तो कभी किसी की
ऑखों में ऑसू लाना तेरा प्रिय शगल
तुझसे तो बडे बडे हारे
तुझमे है सत्ता पलट की ताकत
तेरे आगे किसी की नहीं चलती
तू है सबकी जरूरत
तेरे बिना स्वाद भी फीका
इसलिए शायद इतना इतराता है
सबकी ऑखों में पानी भर लाता है
तू सबसे जुदा
फिर भी सबमें शामिल
रूलाता है
फिर भी सबका प्यारा
गृहिणी हो या होटल
हर थाली तेरे बिना अधूरी
शाकाहारी या मांसाहारी
सलाद या सब्जी
पिज्जा हो या बर्गर
देशी हो या विदेशी
सब इस पर लट्टू
तभी तो यह इतराता
और लोग ऑखों में ऑसू भरकर कहते
हाय रे कांदा हाय रे कांदा
इस मंहगाई में तूने तो मार डाला
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Sunday, 6 October 2019
हाय रे कांदा ,इस मंहगाई में तूने तो मार डाला
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