न किसी से ज्यादा बोलना
न किसी की ज्यादा सुनना
अपने काम से काम रखना
अब यह उम्र तर्क वितर्क की नहीं
लडने झगड़ने की नहीं
किसी की बात मन पर लेने की नहीं
सुना अनसुना कर देना
गलती पर माफ कर देना
क्या लेकर जाएँगे
मन पर बोझ क्यों ले
किसी का दिल दुखा कर क्या होगा
किसी को व्यंग्य बोलकर क्या होगा
न अपना दिल दुखे
न किसी और का
बस भगवान से नाता जोड़ लो
वही उद्धार करेंगे
स्वयं को अर्पित कर दे
ईश्वर में मन रमा ले
फिर तो किसी साथ की जरूरत नहीं
उम्र के आखिरी पडाव पर
उसका साथ ही
सब छूट जाता है
साथ कोई नहीं जाता है
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Saturday, 23 November 2019
कोई साथ नहीं जाता
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