जब कभी लगे आप अकेले हो
कोई नहीं बतियाने वाला
तब उस घर की चारदीवारी को छोड़
निकल पडे
जा बैठे प्रकृति माँ की गोद में
वह दुलराएगी
प्यार से सहलाएगी
मन बहलाएगी
संगीत सुनाएगी
कुछ कानों में गुनगुनाएगी
हौले से गुदगुदाएगी
आपके चेहरे पर मुस्कान लाएगी
आपको भावविभोर कर देगी
जीने की प्रेरणा देगी
जीवन में जोश भर देगी
तन मन प्रफुल्लित कर देगी
यह सब वह करेंगी
अपनी हवा , पानी , पेड़ पौधे
पशु-पक्षियों ,नदी पर्वतों
आकाश ,नक्षत्र
सूर्य ,चंद्र और तारे
मिट्टी की सौधी सी महक
विशाल समुंदर की हिचकोले लेती लहरे
बरखा की फुहारे
इन सबसे
क्योंकि आप तो अमूल्य है उसके लिए
वह तो माँ है
आपको अकेला कैसे छोड़ेगी
बस उसके सानिध्य में रहिए
अकेलापन दूम दबाकर भाग जाएंगा
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Sunday, 10 November 2019
प्रकृति के सानिध्य में रहिए
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