Monday, 25 November 2019

आम इंसान

क्यों उदास है
क्यों निराश है
क्यों हारा हुआ है
क्यों ठगा हुआ है
क्यों कमजोर है
क्यों मजबूर है
क्यों विवश है
क्योंकि वह आम इंसान है
यह सब समय समय-समय पर होता है
हर अदना शख्स के साथ
क्योंकि वह ईश्वर नहीं है
उसका भाग्य पर कोई जोर नहीं
वह कर्म तो कर सकता है
करता भी है
पर उचित प्रतिफल नहीं मिलता
भाग्य के आगे धक्का खा जाता है
महसूस करता है
सोचता है
जोर लगाता है
तब भी भाग्य को बदल नहीं पाता
यही वह निराशा के गर्त में चला जाता है
भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है
वह थाह नहीं पाता
वह तो वर्तमान में ही उलझ कर रह जाता है
जब रास्ता नजर नहीं आता
तब वह कोशिश करना भी छोड़ देता है
जो होगा देखा जाएगा
जब भाग्य ही साथ नहीं
तब क्यों कुछ करें
जिस हाल में है
ठीक है
जी तो रहे हैं
बस वह यही बैठ जाता है
और ताउम्र बैठा ही रहता है
एक ही जगह

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