Tuesday, 26 November 2019

छब्बीस ग्यारह की वह रात

छब्बीस - ग्यारह की वह रात
यह पीढ़ी तो कभी नहीं भूलेगी
मुंबईकर तो कभी नहीं
वह काली स्याह रात
जिसमें हमारे जांबाज जवान ऐसे ही शहीद हो गए
अदने से आंतकवादियों के हाथ
सारी मुंबई भौंचक रह गई थी
अस्पताल से लेकर होटल तक
सब निशाने पर
छुप कर वार था यह
पर लोगों ने सामना किया
हमारे पोलिस ऑफिसर शहीद हो गए
आज उनको याद करना है
यह हमारी पुलिस है
जो दिन-रात मोर्चे पर डटी रहती है
अपनी परवाह किए बिना
गोली खाकर भी आंतकवादी को पकड़ लिया
वह थे पुलिस के सिपाही
तुकाराम ओंबाले
नर्स ,डॉक्टर ,होटल स्टाफ
सब डटे रहे
अपनी जान की परवाह किए बिना
ऐसे लोगों के कारण हम सुरक्षित
तब इनको याद करना भी हमारा फर्ज बनता है
सभी को नमन
हम भूल नहीं पाएंगे इनको

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