आज का दिन कैसे भूलें ,भला हम
यह आपके जाने का दिन
इस दुनिया से अलविदा कहने का दिन
शांति से बिना बोले
हो लिए रूखसत आप
सब छोड़-छाड़ चल दिए अंजाने जहां
जहाँ से लौटकर फिर कोई नहीं आता दुबारा
वह फाइलें जिसे दिन रात देखा करते थे आप
वह तो नहीं रही
पर वह डब्बा जिसमे पीन ,सेलोटेप ,पंच
सब अभी वैसे ही है
जब काम होता है
तब कहा जाता है
वह बाबूजी के डब्बे में हैं
किताबों पर आपका पढकर निशान लगाया हुआ विद्यमान
आपकी फोटो भी है ही
पर यही याद नहीं है
आप तो दिल के हर कोने में
इतना मार्डन ख्यालों वाला पिता
सौभाग्यशाली लोगों को ही नसीब
निस्वार्थ प्रेम
अंहकार रहित
ज्ञान से समृद्ध
बच्चों के बीच बच्चा
ऐसा पिता जिसे बच्चे भी डाट दे
और वह बुरा न माने
दिल को न लगाए
मिलना तो दुर्लभ
ऐसा नहीं कि मजबूरी में
वह था प्रेम में
कभी किसी के ऊपर मोहताज नहीं
फिर भी झुक जाना
वह था बेइंतिहा प्रेम
ऐसा तो बिरले ही होते हैं
ऐसी छत्रछाया में पले बढ़े हैं हम भाग्यवान
इसलिए
गर्व से कहते हैं
हमारे बाबूजी जैसा कोई नहीं
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Wednesday, 25 December 2019
हमारे बाबूजी जैसा कोई नहीं
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