सोच सकारात्मक हो
सोच सक्रिय हो
सोच सीमित हो
सोच सही हो
सोच सत्य हो
सोच सार्थक हो
सोच स्वतंत्र हो
सोच स्वयं की हो
ज्यादा सोचकर क्या होगा
जो होगा वह होगा
आज की ही सोच ले
कल क्या हुआ था
उसका तो कोई लाभ नहीं
वह तो जा चुका
आनेवाले कल में क्या होगा
वह तो पता ही नहीं
पल में क्या हो जाए
किसे पता
समय तो हमारे हाथ में नहीं
न कल का न आनेवाले का
तब आज की ही सोच ले
आज मे ही जी ले
आज ,अभी और अब
दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं
हर पल को जीए
सही ढंग से जीए
कडवाहट को भूल जाए
बातों को भूल जाए
बातें ही तो है
उनको मन से क्यों लगाए
मन कोई तिजोरी तो नहीं है
जो इसमें बंद कर रखा जाय
समय समय पर खोलकर देखा जाए
उसको उसी समय छोड़ दे
जवाब दे या माफ करे या फिर नजरअंदाज
किसी भी कल को अपने आज पर हावी न होने दें
आज को आजादी दे
हंसने की ,खिलखिलाने की
कुछ करने की
बीती ताहि बिसार दे
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