Saturday, 7 December 2019

निर्भया ,दिशा और उन्नाव पीडिता

किसी की मौत पर जश्न
खुशी मनाई जा रही है
मिठाईया बांटी जा रही है
पशु की भी मौत पर भी ऑखों में ऑसू आ जाते हैं
पर दरिंदो की मौत पर नहीं
यहाँ मानवता की हत्या हुई है
इंसानियत शर्मसार हुई है
हताशा में लिया गया कदम
हो सकता है
यह जायज न हो
कानून को न्याय करना चाहिए
नहीं तो अगर कानून हाथ में लिया जाएगा
तब अराजकता फैल जाएंगी
यह बात भी सही है
तब न्याय भी तो जल्दी हो
अपराधी को सजा दी जाए
बरसों नहीं लगे
इतनी लचर भी न हो न्याय व्यवस्था
कि अपराधी और भी भयावह अपराध कर डाले
अपने जिंदा रहने के लिए
किसी और को जला डाले
क्योंकि जीवन उसे प्यारा है
वह यह सब सोच समझकर कर रहा है
उन्नाव की बेटी के साथ क्या हुआ
उसका जीने का अधिकार ही छीन लिया
वह जीना चाहती थी
सजा दिलाना चाहती थी
पर उसके साथ पहले जो हुआ सो हुआ
अब जला भी दिया
ऐसे नराधम लोगों के लिए न्याय
कौन सा मानवाधिकार आयोग मांगेगा
उनके परिजन मांगेगे
कहीं न कहीं वह स्वयं भी अपराध बोध से ग्रस्त रहेंगे
कुछ घटनाएं तो मानवीयता को भी लजाती है
इनमें ऐसी ही घटनाएं हैं
निर्भया ,दिशा और उन्नाव पीडिता

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