Sunday, 8 December 2019

चलते रहो

हम प्रवासी है जीवन की रेल के
रेल देरी से आती है कभी
कभी समय से
कभी दुर्घटनाग्रस्त
कभी रूक जाती है
कभी बिगड जाती है
कभी धीमी हो जाती है
कभी सिग्नल नहीं मिलता है
कभी सरपट दौड़ती है
हम भी उसी गति से
दुर्घटना होने पर दूसरी ट्रेन पर सवार
बंद होने पर शुरू होने का इंतज़ार
बिगड़ने पर ठीक होने का इंतज़ार
पर चढना नहीं छोड़ते
यात्रा करना नहीं छोड़ते
जिद है किसी भी तरह पहुंचना
तब जीवन की भी जद्दोजहद जरूरी
जब तक जीना
तब तक चलना
उसके सिवाय नहीं कोई चारा

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