Monday, 30 December 2019

समय साथ न चला

हम तो जहाँ से चले थे
आज तक वहीं खडे हैं
सब बदल गया
समय की रफ्तार चलती रही
जो कल था वह आज नहीं
लोग क्या थे
क्या हो गए
कहाँ से कहाँ पहुँच गए
हमने सबको नीचे से ऊपर की ओर जाते देखा है
पर हमारे लिए तो समय के पास ही समय नहीं है
कभी चलता है
कभी चलते चलते रूक जाता है
चला भी तो बडी धीमी गति से
कुछने कहा
फासला हमने बनाया
यह उनकी सोच
फैसला भाग्य का
वह जो करें
जो कराएं
सब कुछ उसके हाथ में
कब समय बदलेगा
उसकी प्रतीक्षा में हम भी
शायद ऐसा भी हो
हम प्रतीक्षारत ही रहे
तब तक प्रवास का समय आ जाय
यहाँ से प्रस्थान का
उसमें समय देरी नहीं करेंगा
तब तो उसकी गति द्रुत होगी
वह नासमझ नहीं है
पर शायद पार्शियालिटी करता है
पारदर्शिता नहीं है
तभी तो किसी के साथ तेज चलता है
किसी के साथ धीमी चाल से
खैर जो भी हो
हम तो उसके साथ है
वह भले न हो

No comments:

Post a Comment