Friday, 21 February 2020

पारखी निगाह

बाजार गई थी ,घर में पहनने वाली मेक्सी पुरानी हो गई थी
फटी नहीं थी पर मन ऊब गया था
सोचा एक नई ले लू
रंग-बिरंगी टंगी हुई थी
एक पसंद आई रंग और डिजाइन में
ले लिया और उसको पानी में खंगाल भी लिया
अगले दिन जब पहनी तो उसमें चीरा था
कहाँ और कैसे ??
कपडा भी मजबूत और नया
पता भी न चला
न मैंने ध्यान से देखा
क्योंकि कोई बहुत मंहगी भी नहीं थी
पर वह मेरी नजरअंदाजी खल गई
जीवन में भी कई बार ऐसा होता है
हम लोगों पर विश्वास कर लेते हैं
छोटी बात को ज्यादा तवज्जों नहीं देते हैं
कभी टाल देते हैं
कभी-कभी नजरअंदाज कर देते हैं
पर वह भारी पड जाता है
यहाँ तक कि ताउम्र हम स्वयं को कोसते रह जाते हैं
झल्लाते है
यह भी नहीं कि हम नासमझ थे
अंजाने में गलती हुई
तब इसका क्या ??
हर बात को पारखी निगाहों से परखना
वह छोटी हो या बड़ी
हर पल सावधान
यही हो जिंदगी का फलसफा

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