Tuesday, 4 February 2020

करें तो क्या करें

कुछ चले गए
साथ छोड़ गए
यादों में कैद हो गए
फिर कभी नहीं मिले
याद है पर उसका क्या
कभी खुशी कभी गम
कभी मुस्कान
कभी ऑसू
दिल तडप जाता है
क्यों रोक न पाए हम
पर वह हमारे हाथ में कहाँ ??
हम विधाता नहीं है न
जो साथ थे
आज तस्वीर में है
हर पल देखते हैं
उनका स्नेह
उनका प्यार
हमारे अपने हमें क्यों छोड़ गए
उनकी छत्रछाया से क्यों मरहूम कर गए
वे जानते थे
हम अकेले रह जाएंगे
तब भी
समझ नहीं आता
क्यों बिछुड़ना पडता है अपनों से
वे तो गए
हम तो जीकर भी मर गए
हर पल पीडा
यह तो वही जान सकता है
जिसने अपनों को खोया हो
जिंदगी चलती रही अपनी रफ्तार से
हमारा समय तो वही ठहर गया
जहाँ साथ छूट गया
इस घाव का मरहम भी तो नहीं है
टीसता है
रीसता है
पर ठीक नहीं होता
वैसे का वैसा
इतने सालों बाद भी
महसूस होता है
जैसे कल की ही बात हो
न पुरानी पडती है
न भूलती है
न जीने देती है
करें तो क्या करें

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