रंग तो रंग है
अपने आप में बेमिसाल है
हर रंग की अपनी अहमियत
अकेले हो तो भी आकर्षक
साथ में हो तो फिर क्या कहना
इंद्रधनुष बन जाते हैं
देखने वाले देखते रह जाते हैं
जीवन भी तो रंगों का मेला
कभी साथ तो कभी अकेला
अपनी पहचान बनाता चलता
समय समय पर अपनी छाप छोड़ता जाता
कुछ ऐसे कि कभी न भूलते
तन - मन पर हावी हो जाते
रंग तो बहुत
चुनाव तो हमें करना है
कितना और कौन सा रंग चढने देना है
किससे दूरी बनाए रखना है
इंद्रधनुष सा जीवन बनाना है
आकाश में चमकना है
सबसे अलग हटकर रहना है
तब सावधान भी रहना है
ऐसा रंग चढे कि
सालों साल भी लोग याद रखे
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