सुना है आजकल सब्जियों का भी धर्म हो गया
वह भी हिन्दू - मुसलमान हो गई
उनकी खता क्या
वह यह तो न समझ पाई
कल तक वह ठेलेवाला भैया था
आज हिंदू या मुसलमान हो गया
सब कुछ वही है
वही मोहल्ला
वही लोग
आज ऐसे कैसे हो गए
बदलाव आ गया
आधार कार्ड मांगा जा रहा है
नाम पूछा जा रहा है
पहले तो पूछा जाता था
सब्जी ताजी तो है न
भाव पूछा जाता था
मंहगी या सस्ती पर बात होती थी
जबरदस्ती फ्री का धनिया - मिर्ची मांगी जाती थी
ठेले वाले के इर्द-गिर्द भीड़ जमती थी
कौन पहले कौन पहले की होड रहती थी
कभी-कभी वह पार्शियालिटी भी करता था
अपने पुराने ग्राहक को कुछ सस्ता भी देता था
उधार भी लगाता था
घर पर भी पहुंचा देता था
वह अपना बरसों पुराना परिचित
सब्जी वाला अंजान हो गया
दोस्त से दुश्मन कब बन गया
किसी को पता भी नहीं चला
सुना है आजकल सब्जियों का भी धर्म हो गया
वह भी हिन्दू - मुसलमान हो गया
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 16 April 2020
सुना है आजकल सब्जियों का भी धर्म हो गया
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment