हम घर में बैठे हैं
परिवार के साथ
फिर भी परेशान हैं
वे बाहर हैं
अपने परिवार से दूर
हमको सुरक्षित रहना है
उनका काम हमको सुरक्षित रखना है
इसलिए वे मुस्तैद है
तत्पर हैं
अपनी जान जोखिम में डाले हुए हैं
घर का खाना उन्हें नसीब नहीं
अपनों को छूने में उन्हें डर लगता है
कहीं उन्हें न कुछ हो जाय
हमें बाहर निकलना मना है
वे बाहर ही बाहर है
तब भी कोई शिकायत नहीं
बस यह चाहते हैं
घर से बाहर न निकले
घर में रहे
महफूज रहे
तब हम क्या इतना भी नहीं कर सकते
आराम से तो बैठना है
मोबाईल ,टेलीविजन देखना है
मनपसंद खाना , खाना है
तब क्या परेशानी
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Tuesday, 14 April 2020
तब क्या परेशानी
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