उलझी उलझी सी जिंदगी
सुलझने का नाम नहीं ले रही
जितना सुलझाने की कोशिश
और उलझती जाती
न जाने किस धागे से बुनी मेरी किस्मत
न बडे सपने
न बडी इच्छा
बस सामान्य सा जीवन चाहा था
वह भी जैसे गले का फांस बन कर रह गया
न उगलते बनता है
न निगलते
जिंदगी से जो प्यार है बेहिसाब
आशा अभी भी बाकी है
कभी तो किस्मत रंग लाएगी
जीवन में बहार होगा
रंगों की खूबसूरत छटा होगी
कालचक अपनी गति से चल रहा है
समय बीतता जा रहा है
वह दौड़ लगा रहा है
बस जिंदगी अपनी ही जगह थम सी गई है
उलझ कर रह गई है
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Sunday, 19 April 2020
यह उलझी सी जिंदगी
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