Sunday, 19 April 2020

पर वह बात घर में कहाँ???

खाने में क्या रखा है
पेट ही तो भरना है
यह सही बात नहीं है
जीभ के स्वाद का तो कोई तोड़ नहीं
प्राचीन काल से ही खाने पर आविष्कार करता मानव
आग से लेकर सुस्वादु मसाले तक
भोजन को टेस्टी बनाना है
सजावट शानदार करनी है
साफ सफाई से लेकर बनाने तक
दिल का रास्ता पेट से होकर ही जाता है
मेहमान नवाजी करनी हो
आदर भाव देना हो
सम्मान करना हो
भोजन की अहम भूमिका
आज लाकडाऊन में
सब सुस्वादु व्यंजन याद आ रहा है
होटल , ढाबा ,ठेले वाले सब याद आ रहे हैं
वह चटखारे ले लेकर खाना
होटल के बाहर भीड़
इंतजार में लोग
वह सब बहुत याद आ रहा है
ऐसा नहीं कि
घर पर न खा रहे हैं
अच्छा नहीं बना रहे हैं
पर वह बात घर में कहाँ??

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