अभी बडा हो गया है
छोटा बच्चा है क्या
एक ग्लास पानी भी लेकर नहीं पी सकता
हर वक्त माँ माँ की रट लगाए रहता है
कल कहीं अकेले रहना पडा तो ??
माँ आज मैं यहाँ अकेला पडा हूँ
मुझे तो कुछ आता ही नहीं
वह कामवाली बाई
जो तुमने रखी थी वह आ नहीं सकती
टिफ़िन सर्विस बंद
तुम्हारी दिए हुए मठरी 'लड्डू सब खत्म
मैगी और पास्ता भी नहीं मिल रहे
मैं कभी-कभी भूखा ही सो जाता हूँ
सुबह देर तक सोता हूँ
ताकि ज्यादा न खाऊँ
कुछ आटा 'दाल 'चावल 'तेल 'मसाला
खरिद लाया हूँ
उसी में काम चला रहा हूँ
खाना स्वादिष्ट तो क्या
बस पेट भरने लायक हो जाता है
जब बैठता हूँ खाने तो
तुम्हारे खाने की सौंधी महक कहीं से आ जाती है
और वह बेस्वाद गटक लेता हूँ
झाडू पोछा लगाता हूँ
कपड़े भी धोता हूँ
खरिदारी भी करता हूँ
नहीं तो कैसे काम चलेगा
तुम तो हो नहीं
लाकडाऊन चल रहा है
मन मिलने को बेचैन है
तुम्हारे हाथ का खाने को बेचैन है
तुम्हारी गोदी में सर रखकर सोने को बेचैन है
तुम्हारी डांट सुनने को बेताब है
बस अब भागकर तुम्हारे पास आ जाऊं
यह लाकडाऊन खुल जाय
और मैं तथा तुम चैन की सांस ले
वहाँ तुम बेचैन
यहाँ मैं
कुछ चारा नहीं है
प्रतीक्षा करनी है
तुम्हारी तो भगवान सुनता है
जरा उससे बोलो
मेरे बेटे को मुझसे मिला दे
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Monday, 27 April 2020
मेरे बेटे को मुझसे मिला दे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment