मैं मजदूर हूँ
मजबूर नहीं
मजबूत हूँ
कमजोर नहीं
अपनी मेहनत की खाता हूँ
किसी को लूट कर नहीं
खेतों में हल चलाता हूँ
मिट्टी को सोना बनाताहूँ
पत्थर में से पानी निकालता हूँ
ईटों गारो से इमारतें बनाता हूँ
अपने खून पसीने को एक करता हूँ
तब जाकर लोगों के महल खडे होते हैं
लोगों के सपनों को साकार करता हूँ
लोग भले मेरी कीमत कम ऑके
पर मैं किसी से कम नहीं
स्वाभिमान से रहता हूँ
संतोष में जीता हूँ
इकठ्ठा करने की फ़ितरत मेरी नहीं
मैं रोज कमाता हूँ
तब रोज खाता हूँ
राष्ट्र निर्माण में मेरी अहम भागीदारी
इससे नहीं कोई अंजान
मै वह शख्स हूँ
जो सबकी मुसीबत दूर करता है
मैं मजदूर हूँ
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Friday, 1 May 2020
मैं मजदूर हूँ
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