बहुत दर्द होता है
जब बडो के कंधों पर छोटा जाता है
वह पिता कितना बदनसीब होता है
जिसको अपने बेटे को कंधा देना पडा हो
वह भाई पर क्या बीतती होगी
जो उसके संग खेल कर बडा हुआ हो
उस माँ पर क्या बीतती होगी
जब अपने कलेजे के टुकड़े को इस तरह देख
क्या उसका दिल सही सलामत रहेगा
उस बहन पर क्या बीतती होगी
जिनके साथ लडे झगड़े हो
हर छोटी छोटी बात को साझा किया हो
रिश्ता कोई भी हो
पति-पत्नी
बहन - भाई
भाई - भाई
बहन - बहन
या अपना कोई अजीज
वह दोस्त भी हो सकता है
पडोसी भी हो सकता है
दिल तो टूटता है
बस आवाज नहीं आती
अगर पहले से पता चल जाय
यह इस तरह बिदा होगा
तो हम कितना संभल कर रहते
ताउम्र हम लडते झगड़ते
डांटते फटकारते
अपनी इच्छा उन पर थोपते
अपना गुस्सा निकालते
शायद कदर भी नहीं
प्रेम न हो ऐसा नहीं
वह तो भरपूर
पर दुनियादारी में वह दिखता नहीं
जाने के बाद लगता है
यह क्या हुआ
क्यों हुआ
पर जाने वाला शख्स तो आने से रहा
जी करता है
एक बार वह आ जाएं
सारे गिले शिकवे दूर कर दे
पर वह संभव नहीं
शायद इसी का नाम जिंदगी है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Friday, 1 May 2020
शायद इसी का नाम जिंदगी है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment