क्या से क्या हो गया
यह हम कहाँ आ गए
कितने बदल गए
कितना समझौता कर लिया
कितने लाचार हो गए
कितना चले
कितना रूके
कितना हंसे
कितना रोए
कितना खुश हुए
कितना गमगीन हुए
बस अब और नहीं
अब तो गुस्सा आ रहा है
अब सहना असह्य हो गया है
अब चुपचाप देखा नहीं जाता
अब मन विरोध कर रहा है
विचलित हो रहा है
मोहभंग हो रहा है
विद्रोही हो रहा है
सहनशक्ति जवाब दे रही है
लगता है
कुछ तो करें
पर क्या करें
यही समझ नहीं आ रहा
हालात बद से बदतर
हम मुकदर्शक
क्या से क्या हो गया
यह हम कहाँ आ गए
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Sunday, 10 May 2020
हम कहाँ आ गए
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