Tuesday, 5 May 2020

शराब की मदहोशी

अब तक तो होश में था
आज मदहोश हुआ हूँ
दवा जो मिल गई
शराब वह तो अमृत है
हम जैसों के लिए
बस पीना और पिलाना
खुशियाँ मनाना
यही तो गम दूर करती है
हर वक्त होश में रहना अच्छा नहीं
कभी-कभी मदहोशी भी रास आती है
जहाँ दिल और दिमाग दोनों बंद
सोचना और समझना यह सब बेकार
बस प्याला और बोतल की शराब
इसकी शरण ली
सब कुछ सुकून लगने लगा
कुछ समय के लिए
सब कुछ छोड़ देना
संन्यासी और शराबी
ज्यादा अंतर नहीं
एक सब छोड़ देता
दूसरा कर्म करते हुए भी कुछ समय के लिए मुक्त
और यह मुक्ति का द्वार शराब खोलती है
शराबी हमेशा सच बोलता है
वह जो नकाब ओढे रहता है
वह सामने आ जाता है
झूठ और फरेब से दूर
असलियत बताती है शराब
कभी-कभी मदहोशी भी अच्छी है

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