अब तक तो होश में था
आज मदहोश हुआ हूँ
दवा जो मिल गई
शराब वह तो अमृत है
हम जैसों के लिए
बस पीना और पिलाना
खुशियाँ मनाना
यही तो गम दूर करती है
हर वक्त होश में रहना अच्छा नहीं
कभी-कभी मदहोशी भी रास आती है
जहाँ दिल और दिमाग दोनों बंद
सोचना और समझना यह सब बेकार
बस प्याला और बोतल की शराब
इसकी शरण ली
सब कुछ सुकून लगने लगा
कुछ समय के लिए
सब कुछ छोड़ देना
संन्यासी और शराबी
ज्यादा अंतर नहीं
एक सब छोड़ देता
दूसरा कर्म करते हुए भी कुछ समय के लिए मुक्त
और यह मुक्ति का द्वार शराब खोलती है
शराबी हमेशा सच बोलता है
वह जो नकाब ओढे रहता है
वह सामने आ जाता है
झूठ और फरेब से दूर
असलियत बताती है शराब
कभी-कभी मदहोशी भी अच्छी है
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Tuesday, 5 May 2020
शराब की मदहोशी
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