पहले आपाधापी होती थी
काम पर जाने की
आज आपाधापी होती है भोजन की
घर में क्या है
क्या नहीं है
यह सोचना पडता है
कहीं खत्म तो नहीं हो गया
साबुन और सर्फ है या नहीं
नमक और मसाला है या नहीं
प्याज और मिर्ची है या नहीं
बस सारा ध्यान इस पर
क्योंकि हो सकता है न मिले
पहले खत्म होता था
मंगा लेंगे
ले आएंगे
दुकान कौन सा दूर है
आज ऐसा लगता है
बस पेट है
उसकी भूख है
सारे विचार सब धरे है
घर में रह कर वे भी सुन्न पड गए हैं
आदिम युग जैसा
बस खाओ और सोओ
खाने का प्रबंध
सुबह से लेकर रात तक
सारे नियम रख दिए ताक पर
अब रात और दिन काटने के हिसाब से नए नियम
जितना सोओ उतना अच्छा
जितना कम सोचो उतना अच्छा
सब खाक और राख
जिन्दा रहना है पेट के नाम
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Thursday, 14 May 2020
बस खाना और सोना
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