Thursday, 28 May 2020

तुम भी तो यह समझा करो

बहुत दुख होता है
जब मैं तुम पर चिल्लाती हूँ
चाहती नहीं
फिर भी हो जाता है
बाद में पछताती हूँ
तुम भी तो जिद करती हो
एक बार मे कोई बात नहीं मानती हो
मैं भी तो इंसान हूँ
मेरी भी उम्र हो गई
अब मैं बच्ची नहीं रही
टोका-टोकी अब नहीं भाता
अब न सीखना है
न अलग से कुछ करना है
जो हूँ जैसी भी हूँ
बस हूँ
अब मैं भी थक गई हूँ
तुमको बोल तुमसे ज्यादा दुखी मैं होती हूँ
दूसरे क्या समझेंगे
उनको तो लगता है
यह बूढी पर चिल्लाती है
यह तो नाता है
माँ - बेटी का
हर कोई उसे नहीं समझ सकता
माँ मैं भी अब बडी हो गई हूँ
वह बच्ची नहीं रही
तुम भी तो यह समझा करो

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