हवा भी चल रही है
फूल भी मुस्करा रहे हैं
सुबह का प्रस्थान
संझा का आगमन
गर्मी चरम सीमा पर
तपती दोपहरी में
अब राहत है कुछ
यह इंतजार हमेशा रहता है
दिन में रात का
रात में सुबह का
ठंडी में गर्मी का
गर्मी में बरखा का
जो है उससे अलग
जीवन में भी इंतजार
यह इंतजार कभी खत्म नहीं होता
आज यह है
तो कल वह चाहिए
आज और कल
वर्तमान और भविष्य
सब अपने अपने हिसाब से
जिसके हिस्से में जो आ जाए
ऐसा ही चलता रहता है
इसी को तो संसार कहते हैं
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Tuesday, 26 May 2020
यही तो संसार है
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