वह सागर जैसा शांत
अपनी सीमा में रहने वाला
हर चीज में अव्वल
वह पढाई हो
वह अभिनय हो
माता पिता के सपनों को साकार करने वाला
मुस्कराता हुआ चेहरा
बोलती हुई ऑखे
युवाओं की प्रेरणा
किसे पता अंदर से इतना अंशात
टूटा हुआ
खोखला
अकेलेपन से घिरा हुआ
सब परीक्षा में पास
जीवन की परीक्षा में फेल
अपने ही हाथ से जीवन समाप्त
जिंदगी की डोर को काय पो छे कर दिया
क्या यही विकल्प था
सुसाइड बहादुर नहीं करते हैं
संघर्षशील नहीं करते हैं
क्या कोई रास्ता नहीं बचा था
सुशाइड के सिवा
उस बूढ़े होते पिता का सोचा होता
जिसके इकलौते बेटे थे
उन बहनों का सोचा होता
जिसके इकलौते भाई थे
उस माँ का सोचा होता
जिसकी जिंदगी थे
उसके सपने थे
उसके पास चले गए
वह भी तो पूछेंगी
बेटा तूने ऐसा क्यों किया
क्या इसीलिए पाल पोस कर बडा किया
मरने के लिए
जान देने के लिए
आज मजदूर बेघर हो सडकों पर चल रहा है
भूख प्यास का मारा
पर जान नहीं देता बेचारा
उनसे ही सीखा होता
दिल से नहीं दिमाग से सोचते
तब ऐसा नहीं करते
दुख तो है जाने का
पर एक शिकायत भी है
सुशांत तुमको ऐसा नहीं करना चाहिए था
अभी तो तरक्की पर तरक्की कर रहे थे
ऐसी भी क्या मजबूरी
जो तुम इतना कमजोर पड गए
ऐसा भी तो नहीं था
तुम्हारा संघर्षों से पाला नहीं पडा था
आज तुमने अपने करोडों चहेतों को निराश किया है
दुखी कर दिया है
अभिनय का माहिर खिलाड़ी
यह कैसा खिलवाड़ कर दिया
अपने हाथों ही अपनी जिंदगी ले ली
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Monday, 15 June 2020
सुशांत यह तुमने ठीक नहीं किया
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