Saturday, 20 June 2020

तब देख लो कमाल

क्या खूबसूरत नजारा
मन करता
ऑखों में भर लूँ
घंटों निहारू
निहारती ही रहूँ
आज कुदरत मेहरबान
जी खोल कर रही खिलखिला
अंगडाइया ले रही
अठखेलियां कर रही
बरखा रानी जो पधारी
हो रही उनके स्वागत की तैयारी
आई हैं
तब मनभावन सौगात भी दे जाएंगी
सबको हरा भरा कर जाएंगी
सूखे को तृप्त कर जाएंगी
नदी नाले सब भर जाएंगी
सब लहलहाएगे
गाँव हो या शहर
हर पेड़ का पत्ता झूमेगा
हर फूल खुशबू बिखेरेगा
जब कुदरत आनंदित रहती है
तब सब आनंदित
हम तो उसका ही एक अंश
पर कभी-कभी दे देते हैं दंश
उसका दर्द समझ नहीं पाते
अंजाने में बहुत कुछ नष्ट-भ्रष्ट कर देते
कुदरत तो हमेशा से मेहरबान
हम न समझ पाए
आपाधापी में इसका अनुभव न ले पाएं
बस कुछ क्षण इसकी सानिध्य में
कुछ पल इसके साथ
तब देख लो कमाल

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