न जाने कितने लोग जीवन में आते हैं
साथ निभाते हैं
राह दिखाते हैं
यह परिवार भी है
साथी संगी भी है
अडोसी पडोसी भी है
तब भी साथ चलना अकेले ही है
कोई कुछ पल के लिए सांत्वना दे देगा
कोई तुम्हारी बातें
सुनेगा और समझेगा
कोई मुश्किल घडी में मददगार होगा
सब आसपास हैं
सब अपने हैं
फिर भी हम अकेले हैं
अपनी लडाई तो खुद ही लडनी है
अपना साथ अपने आप को देना है
ये लोग तो कुछ समय
पर स्वयं को तो बांधे रखना है स्वयं से
स्वयं ही उठ खडा होना है
कब तक दूसरों की सहारे की अपेक्षा
कब तक साथ देंगे
उनका भी तो अपना जीवन
मन के भय को स्वयं ही दूर भगाना है
मन में चलते ऊहापोह को खत्म करना है
अपना निर्णय स्वयं ही लेना है
मन को भी स्वयं समझाना है
मजबूत बन हर लडाई लडना है
क्यों कोई तुम्हारे लिए लडें
और कब तक
जब स्वयं ही स्वयं का साथ निभाएगा
तब अपनी जिंदगी से प्रेम भी करेगा
आनेवाली हर आपदा भी दूर करेंगा
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Thursday, 18 June 2020
स्वयं को स्वयं का साथ निभाना है
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