Friday, 26 June 2020

चलो चांद पर घर बसाए

मुझे आसमान छूना है
चांद पर घर बसाना है
तारों के साथ अठखेलियां करना है
बूढी माँ के साथ चरखा कातना है
कभी-कभी चंदा मामा को अपने साथ धरती पर भी लाना है। बच्चों के लिए
वे भी तो मिले अपने प्यारे मामा से
धरती पर तो मामा कम हो रहे हैं
एक या दो का नारा
तब मामा क्या होता है
उसका प्यार कैसा होता है
यह कैसे जानेंगे
अंकल में सब सिमट रहे हैं
मामा , मौसा , बुआ , चाचा
धरती पर रिश्ते कम हो रहे
तब तो चांद ही सही
सैकड़ों तारें
जिनकी गिनती नहीं
चलते हैं साथ साथ
दूर से भी अपने
तब क्यों न पाले ये सपने
चांद पर घर बसाए
दूर से सबको ललचाएं

No comments:

Post a Comment