Friday, 19 June 2020

नन्ही बच्ची को छोड़ने वाली माँ की गाथा

क्यों माॅ मुझे छोड़ दिया
इस तरह कपडे में लपेट कर
काला टीका लगाकर
किसी की नजर न पडे
सुनसान विरान में
बस रोने के लिए
भूख से बिलखने के लिए
मरने के लिए
इतनी विवशता
एक बेटी के कारण
कैसे हुई तुम इतनी कठोर
मेरा हंसता हुआ मुख देख
तुम्हारा दिल नहीं पसीजा
तुम्हारा ऑचल गीला नहीं हुआ
ऑखों से ऑसू नहीं आए
तब क्यों नौ महीने गर्भ में रखा
होने ही न देती
यह दिन तो न आता
न तुम मजबूर होती
न तुम्हारी ममता
न मैं इस दुनिया में आती
न तुम दुखी होती
इतनी विवशता
अपनी दूधमुही बच्ची को छोड़
तुम्हें कैसे चैन आता होगा
तुम कैसे सुकून की सांस लेती होंगी
इस तरह से तो कोई जानवर को भी नहीं छोड़ता
तुम माँ कैसी
ममता ने हिलोरे नहीं मारा
माँ तो सारी दुनिया से लड जाती है
तुम्हें तो कुछ लोगों से लडना था
लड जाती
पर मुझे नहीं छोड़ती
तब तुम माँ बन पाती
तुमने ऐसा नहीं किया
माता कमजोर नहीं होती
डरपोक नहीं होती
सब झूठ बस एक सच
बेटी की माॅ से ज्यादा
मजबूर और विवश कोई नहीं

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