एक कहानी पढी जो मराठी में थी मन को भा गई
एक युवती थी गरीब घर की ।पिता ने बडी मेहनत से रात दिन एक कर उसे पढाया
काबिल बनाया और एक दिन वह बडी अफसर बन गई
पिता एक बार उसके ऑफिस आए
देखा तो बाहर लोग इंतजार मे थे मिलने के लिए
न जाने कितने लोग उसके अधीन काम कर रहे थे
पिता को गर्व हुआ
सीना फूल कर चौडा हो गया
मानो वह स्वयं अफसर बने हो
एक व्यक्ति के साथ पिता ऑफिस में दाखिल होते हैं
बेटी फाइलों को देखने में व्यस्त है
पिता को देखती है और उठ खडी होती है
आप यहाँ कैसे ??
नहीं ऐसे ही देखने चला आया था पिता उसके कंधे पर हाथ रखकर बोल रहे थे
अच्छा एक बात बता
यहाँ सबसे शक्तिशाली कौन हैं
मैं हूँ पिता जी
पिता को ऐसे उत्तर की अपेक्षा नहीं थी
उन्होंने सोचा था कि वह उन्हें बताएंगी पर ऐसा हुआ नहीं
खैर वह बोले
तू बैठ ।अपना काम कर
मैं चलता हूँ
बडे अदब से दो कर्मचारी उनको बाहर लेकर जा रहे थे
फिर अचानक मन में जाने क्या आया
वापस दो कदम पीछे लौटकर वहीं प्रश्न पूछा
इस बार जवाब मिला
आप पिताजी
तब तूने पहले ऐसा क्यों नहीं बोला
उस समय आपका हाथ मेरे कंधे पर था तब मुझसे ज्यादा शक्तिशाली कौन होता
जिसके पास पिता का साथ हो
पर इस समय आप हैं क्योंकि आपकी बदौलत ही मैं यहाँ
इस तरह सबसे शक्तिशाली आप
बिना कुछ कहें
पिता मुस्कराते हुए बाहर निकल गए
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